नींद
क्या आपको याद है कि अन्तिम बार आपने कब इतनी खेलकूद या मेहनत की थी कि थकान के कारण बिस्तर पर लेटते ही नींद आ गई? यदि इस बात को याद करने में आपको कठिनाई हो रही है, तो पक्के तौर पर आप बीमारियों की गिरफ़्त में आ चुके हैं।

जिस तरह से लोग आधी-आधी रात या उसके बाद तक भी मोबाइल से चिपके रहते हैं, इसमें कोई आश्चर्य नहीं होगा कि आज से लगभग 10 साल बाद हमसे अधिकतर लोग नींद की गोलियाँ बिना सो नहीं पाएँगे।

नींद और स्वास्थ्य का गहरा संबंध है। नींद की आवश्यकता हमें इसलिए पड़ती है क्योंकि कार्य करने के कारण हमारे शरीर के अंग-प्रत्यंग थक जाते हैं और उन्हें विश्राम की आवश्यकता होती है।

विश्राम का सबसे अच्छा समय नींद ही होता है। नींद जितनी गहरी होती है, विश्राम भी उतना गहरा होता है यानि हमारा शरीर अच्छे से चार्ज हो पाता है। इसके उल्टे उथली नींद कितनी ही लंबी हो, उठने के बाद शरीर थका सा महसूस करता है। ऐसा इसीलिए होता है क्योंकि उथली नींद में मन पूरे समय सक्रिय रहता है, सपने चलते रहते हैं, इसीलिए अच्छे से विश्राम नहीं मिलता। और अगले दिन शरीर को फिर कार्य करना होता है। इसके कारण हमारे अंग-प्रत्यंग धीरे-धीरे कमज़ोर पड़ने लगते हैं, और बीमारियाँ अपनी जड़ें हमारे अंदर फैलाने लगती हैं।

अब आप पूछ सकते हैं कि, "आख़िर नींद की गोली में समस्या क्या है? एक गोली लो और रातभर आराम से सो।" समस्या यह है कि नींद की गोली एक प्रकार का नशा है। जो व्यक्ति नशे में होता है, उसकी सोचने-समझने की, निर्णय लेने की क्षमता कम हो जाती है। जिसके कारण वह भय, चिंता, घबराहट, अनिश्चितता से हमेशा बेचैन रहता है। परेशान होना उसकी आदत बन जाती है। वह अपने हर निर्णय पर संदेह करने लगता है।

इतने अशांत मन के कारण शरीर का रासायनिक संतुलन गड़बड़ाने लगता है। जिसका परिणाम हमें बीमारियों के रूप में भुगतना पड़ता है।

यदि आप इस स्थिति से बचना चाहते हैं तो एक सक्रिय जीवनशैली को तुरंत अपनाइए। योग, ध्यान, खेलकूद, टहलना, दौड़ना, साइकिल चलाना, तैराकी करना, पहाड़ चढ़ना, पेड़ चढ़ना में से कुछ नियमित रूप से करिए। इससे न केवल आपकी नींद गहरी होगी बल्कि हड्डियाँ और माँसपेशियाँ भी मजबूत होंगी। और आप एक लंबा, स्वस्थ, और प्रसन्नचित्त जीवन बिता पाएँगे।